लेखनी कहानी -01-Sep-2022 सौंदर्या का अवतरण का चौथा भाग भाग 5, भाग-6 भाग 7 रक्षा का भारत आना ८- श्रेय

18 श्रेया और श्रवण का बच्चा




बाहर निकलकर श्रवन ने वह पैसे, जो उनकी सासू मां ने श्रेया की  बला उतार कर दिए थे। ले जाकर एक मंदिर में बैठे हुए भिखारियों को दे दिए, और उनसे श्रेया के लिए दुआ करने को कहा- सभी ने श्रेया को बहुत दुआएं दी। पैसे देकर वह भगवान के दर्शन कर फिर अस्पताल लौट आया। अस्पताल आने पर श्रेया के माता-पिता ने श्रवन से डॉक्टर बदलने के लिए कहा- और कहा कि जब इस डॉक्टर ने उम्मीद ही छोड़ दी है। तो यहां रखना बेकार है,इसलिए किसी दूसरे डॉक्टर का पता करो। हम हाथ पर हाथ धरे तो नहीं बैठ सकतें, कुछ तो करना होगा। जितना जल्दी हो सके, पता करो। और सिया को किसी दूसरे हॉस्पिटल में शिफ्ट करते हैं। सबको यह बात कुछ ठीक लगी। उसने अपनी मां से सलाह की, अपने पिताजी से फोन पर बात की। तो सभी ने एकमत होकर यही राय दी। कि तुम्हारे सास ससुर ठीक ही कह रहे हैं। पिताजी ने भी यही कहा कि जब डॉक्टर ही निराश हो चुके हैं, तो यहां रखने का कोई मतलब नहीं है।इसलिए  कोई अच्छा डॉक्टर ढूंढने के लिए श्रवन में अपने दोस्तों से मदद ली। उसने अपने दोस्तों को फोन करके अच्छे डॉक्टर की तलाश शुरू की। कई सारे दोस्तों से बातचीत हुई। दोस्तों ने आपस में एक-दूसरे से बातचीत करके श्रवन की हालत को बताया,और बताया कि उनकी पत्नी की हालत बहुत खराब है तो सभी ने उनकी मदद की। और आनन-फानन में शाम तक ही एक अच्छा डॉक्टर ढूंढ कर सूचना दी। कि ये डॉक्टर बहुत अच्छे हैं इनसे बात कर लीजिए। इन्होंने कई मरीजों को बचाया है,जो मौत के गाल में समा रहे थे। उन्होंने डॉक्टर का नंबर भी ला कर दिया। तुरंत श्रवन ने उस नंबर पर बात की, और श्रेया की पूरी हालत के बारे में  बताया और आने को कहा। तो डॉक्टर ने दूसरे हॉस्पिटल में जाने के लिए मना कर दिया और श्रेया की हालत ऐसी नहीं थी। कि उसको ले जाकर कहीं दिखाया जाए। अब श्रवन ने डॉक्टर से बहुत अनुनय विनय की और कहा- कि शायद आपकी वजह से मेरी पत्नी की जान बच जाए। तो आपका उपकार में जीवन भर नहीं भूलूंगा । प्लीज,आप उसे यहां आकर देख लीजिए। डॉक्टर बोला मैं किसी से मिलने के लिए दूसरे हॉस्पिटल में जाता नहीं हूं। परंतु इतना कह रहे हो, तो आकर देख लूंगा।

यहां अस्पताल वाले भी दूसरे डॉक्टर को नहीं आने देना चाहते थे।तो श्रवन डॉक्टर को साधारण कपड़ों में ही अस्पताल लाया। और अपने रिलेटिव बनाकर ही अंदर श्रेया  से ऐसे मिलाने ले गया। डॉक्टर ने श्रेया को देखा और उसे सब कुछ समझते देर न लगी। श्रवन से उन्होंने कहा- चिंता मत करो।भगवान पर भरोसा रखो।  यह कहकर डॉक्टर आईसीयू से बाहर आ गये। श्रवन भी साथ था।  उसने पूछा- कुछ तो बताइए। डॉक्टर ने सबको एक आशा की किरण दिखाते हुए कहा। देख लीजिए शिफ्ट कर सकते हैं तो मेरे हॉस्पिटल में शिफ्ट कीजिए। आप तो उम्मीद खो बैठे हैं, मैं भी कोशिश कर लेता हूं। अगर जान बच गई, तो बहुत ही अच्छा है। मैं पूरी कोशिश करूंगा। श्रेया को बचाने की। डॉक्टर से श्रवन ने एक घंटे का समय मांगा। एक घंटे में उसने अपने सभी घरवालों से सलाह मशविरा किया, और सभी ने एकमत होकर ये कहा- कि श्रेया को दूसरे अस्पताल में शिफ्ट किया जाए। सभी श्रेया के लिए एक आशा की किरण पाकर खुश थे। कम से कम एक उम्मीद की किरण तो दिखाई दी। श्रवन ने डॉक्टर को फोन कर कहा कि हम तैयार हैं। फिर श्रवन ने अभी इलाज कर रहे डॉक्टर से श्रेया को डिस्चार्ज करने के लिए कहा- डॉक्टर ने हॉस्पिटल की बिल वगैरा तैयार किए,और श्रवन से बिल चुकता करवाए। श्रवन ने बिल चुकाकर डिस्चार्ज पेपर बनवाएं। और एंबुलेंस बुलाकर श्रेया को ले जाने के लिए तैयारी की। मां और सांसू मां ने सभी सामान पर इकट्ठा किया। मां को श्रेया के साथ एंबुलेंस में  बैठाया। तुरंत श्रेया को दूसरे अस्पताल में शिफ्ट किया गया।फिर  डॉक्टर ने जैसा कहा हमने वैसा ही किया। दूसरे अस्पताल में शिफ्ट होते ही डॉक्टर ने श्रेया के सारी जांच नए सिरे से करवाईं। और इलाज शुरू किया। कुछ दवाएं रिपोर्ट आने के बाद ही देनी  थी। लेकिन जीवन रक्षण के लिए कुछ दवाएं डॉक्टर ने शुरू कर दी थी। डॉक्टर के कहे अनुसार श्रेया का अल्ट्रासाउंड कराया गया।  अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट आते ही डॉक्टर ने बता दिया।कि क्या करना है डॉक्टर ने श्रवण को बुलाया और कहा-कि श्रेया का फिर से ऑपरेशन करना पड़ेगा। पिछले ऑपरेशन के समय श्रेया के पेट में कुछ रह गया है। जिसकी वजह से उसको इंफेक्शन फैल रहा है, और उसकी जान खतरे में है। श्रवण तो पहले से ही घबराया हुआ था। दोबारा ऑपरेशन की बात सुनकर तो सश्रवन के होश ही उड़ गए।वह पगलाया सा कुछ समझ नहीं पा रहा था। डॉक्टर ने उसे समझाया और उसके ससुर जी को भी अंदर बुलाया। ससुर जी के सामने डॉक्टर ने श्रवण को सारी बात समझाई।तो उन्होंने श्रवन को हिम्मत दी। और दोबारा ऑपरेशन करने की इजाजत भी दे दी।

इधर घर में श्रवन की बहन रक्षा ने श्रेया की सलामती के लिए महामृत्युंजय मंत्र का जाप शुरू करवाया है। घर में पूजा हो रही थी। भगवान शिव जी का भोलेनाथ जी का जाप हो रहा था। आज महामंत्र मंत्र के जाप का पहला दिन था। पहले दिन ही एक आशा की किरण नजर आने लगी थी। कि कम से कम डॉक्टर ने  कुछ आशा की किरण तो दिखाई। घर में पूजा चल रही थी।रक्षा ने भाई को पूजा के बारे में बताया, तो भाई ने भी रक्षा को एक अच्छी खबर दी। कि डॉक्टर ने सिय को एक आशा की किरण दी है ,और हमने श्रेया को दूसरे अस्पताल में शिफ्ट कर दिया है। श्रेया को जब दूसरे अस्पताल में शिफ्ट किया जा रहा था तो श्रवन को अपने बच्चे की याद आई।और उसने मां से कहा- कि मां बच्चे को लेकर आते हैं। उसको कहां छोड़कर जाएंगे। तब श्रवन  डॉक्टर के पास गया और उसने अपने बच्चे को वहां से लिया। अभी भी श्रवन को यह नहीं पता था कि उसका बच्चा बेटी है या बेटा। यह कैसी भाग्य की विडंबना है। कि जिस बच्चे के लिए वह तरस रहे थे। उसी बच्चे को उन्हें देखने की फुर्सत नहीं हुई थी। कि वह सब यह जान लें कि उनका बच्चा बेटी है या बेटा।  अपनी परेशानियों में पड़े रहने के बाद आज श्रवन ने पहली बार अपने बच्चे को गोद में लिया था। वह भी अस्पताल शिफ्ट करने के लिए ।लेकिन अपने बच्चे को गोद में लेकर आज उसे एक बहुत ही मृदुल अनुभूति हुई थी। अब श्रेया की सलामती के लिए डॉक्टर ने बच्चे को कुछ देर श्रेया के पास लिटाने को भी कहा- जिससे कि बच्चे का शरीर मां के शरीर से छूएगा, तो उसे भी अपने बच्चे की अनुभूति होगी। और उसकी तबीयत ठीक होने में यह सहायक होगा। डॉक्टर की बात मानकर श्रवन ने ऐसा ही किया। उसने जाकर बच्चे को कुछ देर श्रेयाके पास लिटाया। कुछ देर बाद  डॉक्टर ने श्रवन से कहा-कि कल सुबह श्रेया का ऑपरेशन करूंगा। सारी फॉर्मेलिटीज पूरी कर दो। श्रवन ने सुनकर हां किया, और वह बच्चे को मां को पकड़ा कर फॉर्मेलिटी करने चला गया।

उधर घर पर महामृत्युंजय मंत्र का जाप लगातार चल रहा था। पूजा का आज दूसरा दिन था। जाप का कुछ तो असर दिख रहा था। इतने में बच्चे ने मां की गोदी में पेशाब कर दी। मां ने बच्चे के कपड़े बदलने के लिए उसके कपड़े खोले। तब मां को पहली बार पता चला कि उनके घर में छोटी श्रेया लक्ष्मी बनकर आई है। मां बहुत खुश हुई। वह बड़ी बेसब्री से श्रवन का इंतजार करने लगी। श्रवन अस्पताल की औपचारिकता को पूरी कर वापस आया, तो मां ने श्रवण को यह खुशखबरी दी। कि वह एक बेटी का पिता बन चुका है। श्रवन ने जब यह सुना तो उसे बहुत खुशी हुई। और उसने फिर से बेटी को अपनी गोद में लेकर प्यार किया। श्रवन ने मां से कहा कि डॉक्टर श्रेया को ऑपरेशन के लिए ले जा रहे हैं तो आइए, श्रेया के पास चलते हैं। जब उनकी मां बेटी को गोद में लेकर श्रेया के पास गई ।और श्रेया के पास थोड़ी देर लिटाया, उसके बाद डॉक्टर श्रेया को ऑपरेशन के लिए ले गए ले जाने लगे। सावन की माने से आकर सर पर हाथ रख कर उसे आशीर्वाद दिया और कहा कि तुम जल्दी ठीक होकर वापस आओ। नर्स  श्रेया को ऑपरेशन थिएटर में ले जाने लगी। श्रवन श्रेया का हाथ पकड़े हुए था। ऑपरेशन थिएटर का दरवाजा खोला। तो श्रवन ने श्रेया के सर पर हाथ फेर कर उसे प्यार किया। और अंदर जाने दिया। खुद ऑपरेशन थिएटर के बाहर बैठकर इंतजार करने लगा अब वह अकेला नहीं था उसकी गोद में श्रेया की बेटी भी थी।

उधर घर में लगातार महामृत्युंजय मंत्र का जाप चल रहा था। रक्षा पूरी तन्मयता से पूजा पाठ कर रही थी।और समय-समय पर भाई को फोन करके भाभी का हाल चाल भी पूछती रहती थी। पूजा का असर दिखने लगा था। कुछ थोड़ा सा खुशियां वापस आती हुई सी दिखाई दे रही थी। अब बस श्रेया का सफल ऑपरेशन हो जाए, और सब ठीक हो जाए। यही सभी लोग भगवान से कामना कर रहे थे। प्रातः काल समय बड़ा सुहाना लग रहा था। आज कुछ ऐसा लग रहा था, कि जैसे कुछ अच्छा होने वाला है। सबके मन में एक उम्मीद थी कि शायद श्रेया अब ठीक हो जाएगी। इसी उम्मीद के साथ श्रवन ने श्रेया को ऑपरेशन थिएटर में जाने के लिए तैयार किया। उसने श्रेया के सर पर हाथ रख,उसे अपनी मौजूदगी का एहसास दिलाना चाहा और श्रेया के कान में कुछ कहा- मानो श्रेया सुन रही हो। इस  समय श्रवन के चेहरे हल्की मुस्कान थी,आज उसे कुछ अंदरूनी खुशी महसूस हो रही थी। शायद एक उम्मीद भी थी कि अब श्रेया के ठीक होने से उसके घर परिवार में खुशी का वातावरण होगा। इसी उम्मीद के साथ श्रेया को ऑपरेशन थिएटर ले जाया गया। और.........

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10 Comments

Pratikhya Priyadarshini

22-Sep-2022 08:59 PM

Bahut khoob 💐👍

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Gunjan Kamal

22-Sep-2022 06:25 PM

शानदार भाग

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Kaushalya Rani

13-Sep-2022 09:26 PM

Beautiful

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